कैंचीधाम- श्री नीम करोली बाबा आश्रम : एक अद्भुत स्थान Kainchi Dham – Shri Neem Karoli Baba Ashram : A Wonderful Place 2024

कैंचीधाम आश्रम भारत के उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जिले में स्थित एक खूबसूरत स्थान है। कैंचीधाम को श्री नीम करोली बाबा आश्रम के नाम से संबोधित किया जाता है। यह मुख्य रूप से एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है जहां पर प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। इस आश्रम को एक मंदिर के रूप में स्थापित किया गया है जहां पर श्री नीम करोली बाबा के भक्तों के साथ-साथ देश-विदेश से कई श्रद्धालु भी आते हैं। ज्ञात हो कि यह वही आश्रम है जहां पर मार्क जुकरबर्ग, स्टीव जॉब्स, विराट कोहली, सचिन तेंदुलकर सहित कई महान हस्तियां बाबा के दर्शन के लिए आ चुके हैं। कैंचीधाम आश्रम में प्रतिवर्ष 15 जून को नियमित रूप से एक विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

नीम करोली बाबा कौन थे Who Was Neem Karoli Baba?

नीम करोली बाबा जिन्हें ‘नीम करोली महाराज जी’ के नाम से भी जाना जाता है एक चमत्कारिक बाबा थे जिन्हें लोग हनुमान जी का अवतार भी मानते हैं। नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था और उनका जन्म वर्ष 1900 के आसपास उत्तर प्रदेश के अकबरपुर नामक गांव में हुआ था। कहा जाता है कि बाबा नीम करोली को बहुत कम आयु में ही ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी जिसके बाद उन्होंने युवावस्था में ही घर छोड़ दिया था और एक साधु के रूप में अपना जीवन यापन किया था।

शुरुआती दिनों में नीम करोली बाबा ने कई स्थानों पर तपस्या की थी और बाद में विभिन्न स्थानों पर भ्रमण के लिए निकल गए थे। कहा जाता है कि नीम करोली बाबा का विवाह 11 वर्ष की अल्पायु में ही हो गया था जिसके कुछ वर्षों बाद उन्होंने गृह त्याग कर गुजरात में स्थित वैष्णो मठ में दीक्षा लेकर योग साधना आरंभ की थी। उत्तराखंड में नीम करोली बाबा को लक्ष्मण दास, हांडी वाले बाबा, तिकोनिया वाले बाबा, तलईया वाले बाबा आदि जैसे कई नाम से जाना जाता है।

नीम करोली बाबा की कहानी
नीम करोली बाबा की कहानी Story of Neem Karoli Baba

पहली कहानी

नीम करोली बाबा ने अपने जीवन में कई चमत्कार किए थे जिन्हें आज भी लोग कहानियों के रूप में जानते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार एक बार श्री नीम करोली बाबा ट्रेन के फर्स्ट क्लास कंपार्टमेंट में बिना टिकट के यात्रा कर रहे थे। तब टीटीई ने उन्हें अगले स्टेशन पर उतार दिया जिसके बाद वे वहीं कुछ दूरी पर जाकर बैठ गए। इसके बाद जब ट्रेन के जाने का समय हुआ तो रेलवे के गार्ड ने ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर ट्रेन को आगे बढ़ने का इशारा किया परंतु ट्रेन एक इंच भी अपनी जगह से आगे नहीं बढ़ी और अपनी जगह पर खड़ी रही। इसके बाद रेल प्रशासन ने ट्रेन को आगे बढ़ाने के लिए कई प्रयास किये परंतु ट्रेन जरा भी आगे नहीं बढ़ी।

इसके बाद गांव के मुखिया की नजर बाबा नीम करोली पर पड़ी जो उनकी महिमा को पहले से ही जानते थे। तब उन्होंने बाबा को ट्रेन पर वापस चढ़ने का आग्रह किया जिसमें रेल प्रशासन एवं ट्रेन में सवार अन्य लोगों ने भी उनकी मदद करी। इसके बाद बाबा ट्रेन में बैठने के लिए आगे बड़े एवं उनके बैठते ही ट्रेन चल पड़ी।

कैंचीधाम आश्रम

दूसरी कहानी

इस कहानी में बाबा नीम करोली के ‘बुलेटप्रूफ कंबल’ से जुड़ी एक घटना का जिक्र आता है। दरअसल बाबा हमेशा ही एक खास प्रकार का कंबल ओढ़ा करते थे। स्थानीय लोगों के अनुसार एक बार एक बुजुर्ग दंपति जो बाबा के भक्तों में से एक थे वह फतेहगढ़ में रहा करते थे। वर्ष 1943 में एक बार श्री नीम करोली बाबा में अचानक बुजुर्ग दंपति के घर पहुंच गए एवं उनसे रात में वहीं रुकने की बात कहकर रात भर के लिए ठहर गए। बाबा की यह बात सुनकर बुजुर्ग दंपति को थोड़ा आश्चर्य हुआ परंतु वह बाबा की सेवा-सत्कार करने के लिए मन ही मन खुश भी हुए।

बुजुर्ग दंपति की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी परंतु उन्होंने फिर भी बाबा की सेवा की और उन्हें रात्रि को भोजन कराने के बाद एक चारपाई दी और साथ में ओढ़ने के लिए एक कंबल भी दिया जिसे ओढ़कर बाबा जल्द ही गहरी निद्रा में सो गए। बुजुर्ग दंपति भी बाबा के पास ही चारपाई लगाकर सो रहे थे परंतु उन्हें अचानक बाबा के दर्द से कराहने की आवाज़ें आने लगी मानों जैसे की उन्हें कोई मार रहा हो। यह आवाज़े बाबा के मुख से कई घंटे तक निकली और जैसे-तैसे रात बीत गयी।

इसके बाद प्रातः काल में बाबा नीम करोली उठे और बुजुर्ग दंपति को वह कंबल लपेटकर दे दी और उन्हें इस कंबल को गंगा में प्रवाहित करने का आदेश दिया और साथ ही यह भी कहा कि इसे खोलकर मत देखना वरना भारी समस्या हो सकती है। इसके बाद बाबा ने बुजुर्ग दंपति से कहा कि आप चिंता ना करें आपका बेटा एक महीने के भीतर ही सुरक्षित घर लौट आएगा। जब बुजुर्ग दंपति उसे कंबल को गंगा जी में प्रवाहित करने के लिए ले जा रहे थे तब उन्हें कंबल के अंदर कुछ लोहे जैसा सामान प्रतीत हुआ परंतु बाबा ने उन्हें कंबल खोलकर देखने के लिए मना किया था इसलिए उन्होंने उस कंबल को उसी अवस्था में गंगा जी में प्रवाहित कर दिया।

बाबा के कथनानुसार ठीक एक महीने बाद उस बुजुर्ग दंपति का बेटा घर लौट आया। वह ब्रिटिश फौज में एक सैनिक के रूप में कार्यरत था और दूसरे विश्व युद्ध के दौरान बर्मा फ्रंट पर तैनात था। अपने बेटे को घर वापस देखकर बुजुर्ग दंपति बेहद खुश था तब उनके बेटे ने अपने माता-पिता को एक अजीबोगरीब घटना सुनाई।

बुजुर्ग दंपति के बेटे ने कहा कि एक दिन दुश्मन फौजी की सेना ने उसे घेर लिया और रात भर गोलीबारी और बंदूक की गोलियां चलती रही जिसमें उसके सभी साथी मारे गए लेकिन वह अकेला बच गया। बुजुर्ग दंपति के बेटे ने कहा कि मुझे नहीं मालूम कि मैं कैसे बच गया क्योंकि मेरे ऊपर भी कई गोलियां चलाई गई थी परंतु मुझे एक भी गोली का एहसास नहीं हुआ ऐसा लग रहा था जैसे मैंने कोई बुलेटप्रूफ कंबल ओढ़ रखा है जिसपर किसी भी प्रकार की गोलीबारी का प्रभाव नहीं पड़ा। इस घटना के बाद बुजुर्ग दंपति ने मन ही मन नीम करोली बाबा को नमन किया और उनका धन्यवाद किया क्योंकि वे बाबा के चमत्कार को समझ चुके थे। यही कारण है कि आज भी भक्त नीम करोली बाबा को कंबल चढ़ाते हैं।

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कैंचीधाम आश्रम का इतिहास
कैंचीधाम आश्रम का इतिहास History of Kainchidham Ashram

कैंचीधाम आश्रम उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के नैनीताल जिले में स्थित एक सुंदर पर्वतीय आश्रम है। यह नैनीताल से लगभग 37 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जिसका उद्घाटन 15 जून वर्ष 1964 में एक मंदिर के रूप में किया गया था। यह उत्तराखंड के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है जिसका केंद्रीकरण आध्यात्मिक भावना से किया गया है। कहा जाता है कि कैंची धाम आश्रम की स्थापना स्वयं श्री नीम करोली बाबा ने की थी। यह स्थान दो नदियों के संगम पर मौजूद है जिसका आकार देखने में कैंची के समान प्रतीत होता है इसीलिए इसका नाम ‘कैंचीधाम’ रखा गया है।

कैंचीधाम आश्रम क्यों प्रसिद्ध है Why is Kainchidham Ashram Famous?

कैंचीधाम आश्रम केवल उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि देश-विदेश में भी प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि यह स्थान बाबा नीम करोली का मुख्य निवास स्थान था। इस स्थान में नियमित रूप से धार्मिक एवं आध्यात्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिससे यहां आने वाले भक्तों को सुख एवं शांति का अनुभव होता है। इसके अलावा कैंची धाम आश्रम में समय-समय पर कई प्रकार के समाज सेवा के कार्यों को भी आयोजित किया जाता है जैसे चिकित्सा सेवाएं प्रदान करना, गरीबों को भोजन कराना, शिक्षा का प्रसार-प्रचार करना इत्यादि।

कैंचीधाम आश्रम कैसे पहुंचे
कैंचीधाम आश्रम कैसे पहुंचे How To Reach Kainchidham Ashram

कैंची धाम आश्रम पहुंचने के लिए आप सड़क, रेल एवं हवाई तीनों ही माध्यम का सहारा ले सकते हैं। सड़क मार्ग से आने के लिए आपको भवाली बस स्टैंड पर पहुंचना होगा जो यहां से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यदि आप रेल मार्ग से आना चाहते हैं तो आपको काठगोदाम रेलवे स्टेशन पर उतरना होगा जो यहां से लगभग 37 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा यदि आप हवाई मार्ग से आना चाहते हैं तो आपको पंतनगर हवाई अड्डे पर उतरना होगा जो यहां से लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

कैंचीधाम के आसपास घूमने की अन्य जगहें Other Places To Visit Around Kainchi Dham
कैंचीधाम के आसपास घूमने की कई जगह है मौजूद हैं जैसे:-
  1. भवाली
  2. घोड़ाखाल मंदिर
  3. रानीखेत
  4. सातताल
  5. भीमताल
  6. नैनीताल
  7. नौकुचियाताल
  8. मुक्तेश्वर
  9. रामगढ़
  10. कौसानी इत्यादि।

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