भानगढ़ किला भारत के राजस्थान राज्य के अलवर नामक जिले में स्थित है। यह केवल भारत का ही नहीं बल्कि विश्व का भी एक रहस्यमय स्थान माना जाता है। इस किले को ‘भुतहा किला’ के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि स्थानीय लोगों के अनुसार इस किले में कई प्रेत-आत्माएं निवास करती हैं जिसके कारण इसे भारत के रहस्यमई स्थानों में गिना जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि इस किले के भीतर से रात्रि के समय में औरतों के चिल्लाने, रोने एवं चूड़ियां तोड़ने की आवाज़ सुनाई देती है। यह स्थान राजस्थान में आने वाले पर्यटकों के लिए बेहद विशेष माना जाता है क्योंकि यह भारत का एक ऐतिहासिक किला है जो देखने में भी बेहद आकर्षक लगता है।
भानगढ़ किला का इतिहास History of Bhangarh Fort
भानगढ़ किला का निर्माण वर्ष 1573 में राजा भगवंत दास ने करवाया था। इस किले को 16वीं शताब्दी का एक महत्वपूर्ण किला माना जाता था। राजा भगवंत दास ने भानगढ़ किले का निर्माण अपने छोटे पुत्र माधव सिंह – प्रथम के लिए करवाया था। भानगढ़ किला एवं इसके आसपास के क्षेत्र उस समय के सबसे समृद्ध एवं विकसित क्षेत्रों में से एक था क्योंकि इस किले को बनाने में सुंदर वास्तुकला का प्रयोग किया गया था जिसके कारण यह देश भर में प्रसिद्ध था। भानगढ़ किला चारों ओर से सुंदर पहाड़ियों से घिरा हुआ है जिसके कारण इसकी सुंदरता में और अधिक निखार आता है।
भानगढ़ किला की कहानी Story of Bhangarh Fort
भानगढ़ किले की कहानी बेहद रहस्यमयी एवं रोमांचक है। स्थानीय लोगों के अनुसार कई दशकों पहले यहां पर एक सिंधु सेवड़ा नामक तांत्रिक हुआ करता था जो मन ही मन राजकुमारी रत्नावती को बहुत प्रेम करता था। राजकुमारी रत्नावती भानगढ़ की सबसे सुंदर एवं आकर्षक राजकुमारी थी जिसके कारण वह पूरे राज्य में प्रसिद्ध थी। उनसे विवाह करने के लिए दूर-दूर से कई राजा एवं राजकुमार अपना-अपना शादी का प्रस्ताव भेजते थे परंतु राजकुमारी को कोई भी राजकुमार पसंद नहीं आता था। कहा जाता है कि तांत्रिक सिंधु सेवड़ा राजकुमारी रत्नावती की सुंदरता पर इस हद तक मोहित था कि वह प्रतिदिन महारानी को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए तरह-तरह की तंत्र साधनाएं किया करता था।
तांत्रिक सिंधु सेवड़ा तंत्र विद्या एवं जादू टोने में निपुण था। एक दिन उसने राजकुमारी रत्नावती को अपने वश में करने के लिए अपनी तंत्र साधना से एक जादूई औषधि बनाई और उसे राजकुमारी पर उपयोग करने की योजना बनाई। जब एक दिन राजकुमारी की दासी बाजार में इत्र खरीदने गई तो उस तांत्रिक ने अपनी योग साधना के बल से उस इत्र की शीशी पर जादू कर दिया जिसका उद्देश्य था कि जैसे ही राजकुमारी रत्नावती इस इत्र का उपयोग करेंगी वह उस पर मोहित होकर खुद-ब-खुद उसके पास चली जाएगी।
परंतु विधाता को कुछ और ही मंजूर था क्योंकि इत्र की बोतल को देखते ही राजकुमारी रत्नावती को तांत्रिक की इस चाल का आभास हो गया था और उन्होंने उस जादुई इत्र की बोतल को एक बड़े से गोलनुमा पत्थर पर फेंक दिया जिसके प्रभाव से वह पत्थर लुढ़कता हुआ तांत्रिक की ओर बढ़ा और उसे कुचल दिया। कहते हैं कि मरते समय तांत्रिक ने पूरे भानगढ़ को यह श्राप दिया कि यह नगरी शीघ्र ही नष्ट हो जाएगी और यहां कोई भी सुरक्षित नहीं रह सकेगा।
इस श्राप के फलस्वरूप कुछ समय बाद ही भानगढ़ पर एक भीषण आक्रमण हुआ और वह नगरी पूरी तरह से नष्ट हो गई जिसमें राजकुमारी रत्नावती समेत वहां के सभी निवासी भी मारे गए। इस घटना के बाद से ही भानगढ़ किले में असामान्य रूप से विचित्र आवाज़ सुनाई देती हैं जिससे यह अनुभव किया गया कि इस किले में आज भी राजकुमारी रत्नावती की आत्मा का वास है।
भानगढ़ किला का रहस्य Mystery of Bhangarh Fort
भानगढ़ किला राजस्थान के साथ-साथ पूरे देश में अपनी भूतिया कहानियां एवं रहस्यमयी घटनाओं के लिए जाना जाता है। महारानी रत्नावती की मृत्यु के बाद यह किला एवं पूरा नगर वीरान हो गया था जिसके बाद यहां पर लोगों का आना-जाना भी लगभग बंद हो गया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार अंधेरा होने के बाद इस किले से अजीबोगरीब आवाज़ें सुनाई देती है जैसे चूड़ी टूटने की, किसी के रोने की या चिल्लाने की।
इस प्रकार की घटनाएं सामने आने के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के द्वारा सार्वजनिक रूप से यह स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि भानगढ़ जिले में सूर्यास्त के बाद किसी को भी प्रवेश करने नहीं दिया जा सकता है। इस किले को केवल सूर्योदय के बाद या सूर्यास्त से पहले ही खोला जाता है क्योंकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का यह मानना है कि शाम होने के बाद यहां पर ठहरना खतरनाक भी हो सकता है।
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भानगढ़ किला क्यों प्रसिद्ध है Why is Bhangarh Fort Famous?
भानगढ़ का किला अपने ऐतिहासिक महत्व, अद्भुत वास्तुकला एवं रहस्यमय घटनाएं और प्रेतवादित कहानियों के लिए प्रसिद्ध है जिसके कारण यहां प्रतिदिन भारी संख्या में देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। इस किले के निर्माण में अपने समय के उच्चतम गुणवत्ता वाले सामग्रियों का प्रयोग किया गया है जो वर्तमान समय में भी इसकी भव्यता को दर्शाते हैं। भानगढ़ किले को बनाने में राजपूत वास्तुकला का उपयोग किया गया है जिसमें सुंदर महल, दरबार एवं मंदिर आदि शामिल हैं।
भानगढ़ किला कैसे पहुंचे How To Reach Bhangarh Fort
भानगढ़ किला तक पहुंचाने के लिए आप सड़क, रेल एवं हवाई तीनों ही मार्ग का सहारा ले सकते हैं। सड़क मार्ग से आने के लिए आपको राजस्थान के अलवर के दौसा बस स्टैंड पर उतरना होगा जो यहां से लगभग 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रेल मार्ग से आने के लिए आपको दौसा रेलवे स्टेशन पर उतरना होगा जो यहां से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा यदि आप हवाई मार्ग से आना चाहते हैं तो आपको जयपुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरना होगा जो यहां से लगभग 83 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
भानगढ़ किला के आस-पास घूमने की अन्य जगहें Other Places To Visit Near Bhangarh Fort
भानगढ़ किले के आसपास घूमने की कई अन्य जगह है मौजूद हैं जैसे:-
- सिटी पैलेस
- अजबगढ़ किला
- सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान
- मोती डूंगरी
- नीलकंठ महादेव मंदिर
- सिलीसेढ़ लेक पैलेस
- विराट नगर
- अबहानेरी (चांद बावड़ी)
- नीमराना किला महल
- पांडुपोल हनुमान मंदिर इत्यादि।
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