लेपाक्षी मंदिर : भारत का एक अनोखा मंदिर Lepakshi Temple: A Unique Temple of India 2024

लेपाक्षी मंदिर भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के अनंतपुर नामक ज़िले में स्थित है। यह भारत के सबसे प्राचीन एवं कलात्मक मंदिरों में से एक है जो मुख्य रूप से भगवान शिव, भगवान विष्णु एवं भगवान शिव के अवतार वीरभद्र को समर्पित है। इस मंदिर में भगवान गणेश की भी मूर्ति को स्थापित किया गया है जिसे बेहद खास माना जाता है। यह एक अनोखा मंदिर है क्योंकि इस मंदिर के भीतर मौजूद एक खंभा हवा में लटका हुआ है जिसके कारण इस मंदिर को ‘आकाश स्तंभ’ के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर में लगभग 70 खंभे मौजूद हैं जिनमें से एक खंभा ऐसा है जिसका जुड़ाव जमीन से नहीं है बल्कि वह आश्चर्यजनक रूप से हवा में लटका हुआ है। इस मंदिर के रहस्य को जानने के लिए यहां पर प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु एवं पर्यटक आते हैं।

लेपाक्षी मंदिर का इतिहास History of Lepakshi Temple

लेपाक्षी मंदिर हिंदू धर्म के प्रमुख मंदिरों में से एक है जिसका निर्माण 16वीं शताब्दी में वीरन्ना एवं विरुपन्ना नामक दो भाइयों ने करवाया था। हालांकि कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इस मंदिर के निर्माण में अगस्त्य ऋषि ने एक अहम भूमिका निभाई थी। सन 1583 में बना यह मंदिर भारत के अद्भुत मंदिरों में से एक है जिसके रहस्य को जानने के लिए आज भी शोधकर्ता विभिन्न प्रकार के शोध करते रहते हैं। इस मंदिर में एक खंभा ऐसा है जो सदैव हवा में लटका हुआ रहता है जिसके कारण इस मंदिर को ‘हैंगिंग पिलर टेंपल’ एवं वीरभद्र मंदिर के नामों से भी जाना जाता है।

लेपाक्षी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है
लेपाक्षी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है Why is Lepakshi Temple Famous?

लेपाक्षी मंदिर अपने ऐतिहासिक महत्व, सुंदर मूर्ति कला, रहस्यमई खंभे एवं अद्वितीय वास्तुकला के कारण केवल भारत में ही नहीं बल्कि देश-विदेश में भी बेहद प्रसिद्ध है। विशेषज्ञों की माने तो यह मंदिर विजयनगर शैली की उत्कृष्ट वास्तुकला को दर्शाता है जिसमें भगवान शिव के अवतार वीरभद्र के उग्र रूप की विशाल एवं भव्य मूर्ति का निर्माण भी किया गया है। यह मंदिर देखने में बेहद सुंदर लगता है जिसके कारण यहां पर प्रतिदिन भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

लेपाक्षी मंदिर की विशेषता Specialty of Lepakshi Temple
  1.  इस मंदिर का निर्माण कार्य वर्ष 1545 से 1530 के मध्य में शुरू किया गया था और यह मंदिर वर्ष 1583 में बनकर तैयार हुआ था इसी कारण इसे भारत के ऐतिहासिक मंदिरों में गिना जाता है .
  2. इस मंदिर की संरचना बेहद खास है क्योंकि यहां मौजूद एक खंभा ऐसा है जो धरती के सतह के कुछ इंच ऊपर उठा हुआ है जिसका रहस्य जाने के लिए आज भी वैज्ञानिक शोध करते रहते हैं।
  3. स्कंद पुराण के अनुसार यह मंदिर भगवान शिव के एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है जिसका दर्शन करने के लिए रोजाना भारी संख्या में भक्त आते हैं।
  4. इस मंदिर की संरचना तीन भागों में विभाजित है जिसके पहले भाग को सभा भवन, दूसरे भाग को पूर्व कक्ष एवं अंतिम भाग को गर्भगृह के रूप में जाना जाता है।
  5. इस मंदिर के परिसर में एक विशाल पैर का चिन्ह देखने को मिलता है जिससे यह अनुमान लगाया जाता है कि यह भगवान श्री राम या माता सीता के पैरों के निशान हैं। हालांकि यह चर्चा का विषय है जिसपर आज भी शोध जारी है।
  6. इस मंदिर के लगभग 200 मीटर दूरी पर नंदी की लगभग 30 फीट लंबी ग्रेनाइट से बनी एक विशाल मूर्ति स्थित है। कहा जाता है कि नंदी कि यह मूर्ति उनकी अन्य सभी मूर्तियों से सबसे विशाल है।
  7. पौराणिक कथाओं के अनुसार यह मंदिर हिंदू धर्म के प्रमुख मंदिरों में से एक है क्योंकि यहां पर स्वयं श्री राम अपने 14 वर्ष के वनवास के दौरान आए थे।
  8. इस मंदिर की दीवारों पर भगवान शिव के 14 अवतारों का चिन्ह देखने को मिलता है।
  9. यह मंदिर धार्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इस मंदिर के परिसर में रोजाना नियमित रूप से पूजा-अर्चना होती है। इसके अलावा हिंदू धर्म के विशेष अवसरों पर यहां पर धार्मिक उत्सव भी बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
  10. कहा जाता है कि इस मंदिर में मौजूद सभी मूर्तियां बेहद खास है क्योंकि इस प्रकार की कोई भी मूर्तियां और किसी स्थान पर मौजूद नहीं है। इसके अलावा इस मंदिर में एक अनोखा शिवलिंग भी स्थापित किया गया है जिसकी विशेषता यह है कि ये शिवलिंग एक विशालकाय सर्प के नीचे बनाया गया है जो देखने में बेहद अद्भुत लगता है।

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लेपाक्षी मंदिर की कहानी
लेपाक्षी मंदिर की कहानी Story of Lepakshi Temple

हिंदू धर्म के अनुसार रामायण काल में जब दुष्ट रावण जब माता सीता का अपहरण करके लंका की ओर ले जा रहा था तब जटायु नामक गरुड़ ने रावण को रोकने का भरपूर प्रयास किया था जिसमें वह बुरी तरह जख्मी हो गए थे और रावण ने उनके पंख काट दिए थे जिसके कारण वे घायल होकर इसी स्थान पर गिर पड़े थे। इसके बाद जब भगवान श्री राम माता सीता की खोज में निकले तब उनकी नजर जटायु पर पड़ी। तब श्री राम ने जटायु से ‘ले-पाक्षी’ कहा जिसका अर्थ है ‘उठो पक्षी’। इस घटना के बाद इस स्थान का नाम लेपाक्षी पड़ा और यहां पर एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया।

लेपाक्षी मंदिर कैसे पहुंचे How To Reach Lepakshi Temple

लेपाक्षी मंदिर का दर्शन करने के लिए आप सड़क, रेल एवं हवाई तीनों ही माध्यम का सहारा ले सकते हैं। सड़क मार्ग से आने के लिए आपको हिंदूपुर बस अड्डे पर उतरना होगा जो यहां से लगभग 14.7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रेल मार्ग से आने के लिए आपको हिंदूपुर रेलवे स्टेशन पर उतरना होगा जो यहां से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा यदि आप हवाई मार्ग से आना चाहते हैं तो आपको केंपेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरना होगा जो यहां से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

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