स्वर्ण मंदिर भारत के पंजाब के अमृतसर जिले में स्थित एक बेहद खूबसूरत एवं आकर्षक मंदिर है। यह भारत के साथ-साथ विश्व भर में अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता है। यहां पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। स्वर्ण मंदिर सिख धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। सिख धर्म के अनुसार स्वर्ण मंदिर अमृतसर का प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र है।
स्वर्ण मंदिर का इतिहास – History of Golden Temple
स्वर्ण मंदिर की स्थापना सिख धर्म के चौथे गुरु माने जाने वाले गुरु रामदास साहब ने वर्ष 1604 में की थी। यह सिख समुदाय के प्रमुख गुरुद्वारों में से एक है। यह सुंदर मंदिर सरोवर के बीचो-बीच स्थित है जिससे यह देखने में बेहद खूबसूरत लगता है। कुछ इतिहासकारों के अनुसार स्वर्ण मंदिर की संरचना सफेद रंग के मार्बल से की गई है जिसको 24 कैरेट सोने से पूरी तरह से ढका गया है। इस मंदिर की बाहरी सतह पर सोने की सुंदर परत चढ़ाई गई है जिससे इस मंदिर की रौनक बरकरार रहती है।
स्वर्ण मंदिर के रोचक तथ्य – Interesting Facts About Golden Temple
- स्वर्ण मंदिर अमृतसर के सबसे पुराने एवं लोकप्रिय मंदिरों में से एक है जिसे ‘हरमंदिर साहिब’ के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर सिख धर्म का मुख्य तीर्थ स्थल है जहां पर विश्व भर से लाखों श्रद्धालु आते हैं।
- स्वर्ण मंदिर भारत के सर्वश्रेष्ठ पर्यटक स्थलों में से एक है जिसके परिसर में जाने के बाद असीम शांति एवं सुख का अनुभव होता है।
- कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार स्वर्ण मंदिर के बाहरी सतह को ढकने के लिए लगभग 500 किलो सोने की परत का प्रयोग किया गया है। केवल इतना ही नहीं इस मंदिर के भीतरी के अधिकांश भागों पर भी सोने की कई परतें चढ़ाई गई है जिससे इस मंदिर की खूबसूरती में और अधिक निखार आता है।
- स्वर्ण मंदिर में रोजाना लंगर लगता है जिसमें लगभग 50 हज़ार से लेकर 60 हज़ार तक के श्रद्धालुओं के खाने के उचित व्यवस्था की जाती है। कहा जाता है कि यहां पर आयोजित होने वाले लंगर से कोई भी व्यक्ति भूखा वापिस नहीं जाता है।
- कुछ इतिहासकारों का मानना है कि प्राचीन समय में एक बार भगवान बुद्ध स्वर्ण मंदिर में कुछ समय के लिए रुके थे जहां पर उन्होंने ध्यान किया था। इसके बाद उन्होंने इस मंदिर को ध्यान केंद्रित करने के लिए एक आदर्श स्थान घोषित किया था।
- स्वर्ण मंदिर की बनावट एवं वास्तुकला अन्य मंदिरों की तुलना में बहुत अलग मानी जाती है। इस मंदिर को बड़ी जटिलता एवं सावधानी पूर्वक बनाया गया है जिसके ऊपरी गुंबददार भाग पर सुंदर चित्रों को अंकित किया गया है। इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 12.5 (41 फ़ीट) मीटर है।
- स्वर्ण मंदिर में लगभग सभी धर्म एवं जाति के लोगों को जाने की अनुमति प्रदान की गई है। यहां किसी भी धर्म विशेष के लिए कोई भी प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
- इस मंदिर की खास बात यह है कि यदि आप श्रद्धालुओं की सेवा भाव से कुछ भी कार्य करना चाहते हैं तो यह मंदिर उन लोगों को स्वेच्छा से श्रद्धालुओं की सेवा करने का अवसर प्रदान करती है।
- कहा जाता है कि स्वर्ण मंदिर में हजरत मियां मीर जी की मूर्ति को स्थापित किया गया है। मियां मीर जी एक प्रसिद्ध मुस्लिम सूफी संत थे जो मूल रूप से लाहौर पाकिस्तान के निवासी थे। सिख मान्यताओं के अनुसार सिख गुरु लाहौर के दौरे के दौरान हजरत मियां मीर जी से मिले थे। वर्ष 1588 में, सिख गुरु अर्जन देव ने सूफी संत मियां मीर जी को मंदिर की आधारशिला रखने के लिए आमंत्रित किया था।
- अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करने के लिए श्रद्धालुओं को कंधे और पैरों को ढकने वाले लंबे कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है क्योंकि इस प्रकार के कपड़े सिख धर्म के अनुसार सम्मानजनक माने जाते हैं।
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स्वर्ण मंदिर से हिंदू मूर्तियां क्यों हटाई गई? – Why Were Hindu Statues Removed From The Golden Temple?
वर्ष 1905 में स्वर्ण मंदिर के प्रमुख प्रबंधक सिख धर्म गुरु ने गुरुद्वारे में मौजूद सभी मूर्तियों को हटाने एवं हिंदू प्रथाओं को समाप्त करने की घोषणा की थी जिसके फलस्वरुप स्वर्ण मंदिर में मौजूद सभी मूर्तियों को विस्थापित कर दिया गया था। कहा जाता है कि ऐसा उन्होंने इसलिए किया था क्योंकि सिख धर्म के अनुसार किसी भी मूर्ति की विधिवत पूजा करना पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
स्वर्ण मंदिर तक कैसे पहुंचे? – How To Reach Golden Temple?
स्वर्ण मंदिर भारत का एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है जहां पर आप सड़क, रेल एवं हवाई तीनों ही माध्यम से पहुंच सकते हैं। सड़क द्वारा स्वर्ण मंदिर पहुंचने के लिए आपको अमृतसर बस स्टैंड आना होगा जो स्वर्ण मंदिर से लगभग 1.7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रेल माध्यम से आने के लिए आपको अमृतसर जंक्शन रेलवे स्टेशन आना होगा जो स्वर्ण मंदिर से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। एवं हवाई माध्यम से आने के लिए आपको अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरना होगा जो स्वर्ण मंदिर से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है।
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