रानी की वाव गुजरात के पाटन नामक क्षेत्र में स्थित एक खूबसूरत बावड़ी है। यह मुख्य रूप से एक सीढ़ीदार कुआं है जिसका निर्माण सरस्वती नदी के किनारे पर किया गया है। भारत में इसे रानी की बावड़ी के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत के प्रसिद्ध ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है जो देखने में काफी आकर्षक लगता है। रानी की वाव की सुंदरता को देखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक ने इसकी तस्वीर को 100 रुपये के नए नोटों पर भी अंकित किया है। इसके अलावा यूनेस्को ने 22 जून वर्ष 2014 को रानी की वाव को विश्व विरासत स्थल की सूची में शामिल किया है।
रानी की वाव का इतिहास – History of Rani ki Vav
रानी की वाव का निर्माण 1063 ईसवी में चालुक्य राजवंश की महारानी उदयमती के द्वारा करवाया गया था। कहा जाता है कि उन्होंने यह बावड़ी अपने स्वर्गीय पति राजा भीमदेव की याद में बनवाई थी। रानी की वाव में सुंदर सीढ़ियां एवं अद्भुत मूर्तियां भी बनाई गई हैं जो हिंदू धर्म के भगवान के दस अवतारों का प्रतीक मानी जाती है। रानी की वाव में मुख्य रूप से सात मंजिलों का निर्माण किया गया है जिसमें मौजूद खंबों और दीवारों पर सुंदर आकृतियां भी बनाई गई हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इस बावड़ी को उल्टे मंदिर के रूप में बनाया गया था जो भारतीय इतिहास के सुंदर वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है। रानी की वाव में बनी सीढ़ियों के अंत में बड़े-बड़े पत्थरों पर कई स्तंभ बनाए गए हैं जो देखने में बेहद आकर्षक लगते हैं।
रानी की वाव की मूर्तियों का रहस्य – Mystery of the Idols of Rani Ki Vav
रानी की वाव में विभिन्न प्रकार के बेहतरीन एवं सुंदर मूर्तियां की संरचना की गई है। कहा जाता है कि यह मूर्तियां मुख्य रूप से भगवान के अलग-अलग अवतारों को प्रदर्शित करने के लिए बनाई गई है जिसमें भगवान श्री राम, श्री कृष्णा, श्री विष्णु, नरसिंह, कल्कि आदि जैसे भगवान के अवतारों को चिन्हित किया गया है। यह भारत के साथ-साथ विश्व की सबसे बड़ी बावड़ियों में से एक मानी जाती है। गुजरात में बनी यह रानी की वाव 11वीं शताब्दी की बेहतरीन तकनीक का उदाहरण मानी जाती है क्योंकि इसमें भूमिगत संरचना एवं जल प्रबंधन के संसाधनों का उचित उपयोग किया गया था। यह बावड़ी देखने में बेहद सुंदर लगती है जिसे देखने के लिए प्रतिदिन भारी मात्रा में पर्यटक आते हैं।
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रानी की वाव के रोचक तथ्य – Interesting facts About Rani Ki Vav
रानी की वाव के रोचक तथ्य कुछ इस प्रकार हैं:-
- रानी की वाव की गहराई लगभग 27 मीटर (88.60 फीट), लंबाई 9.4 मीटर (31 फीट) और चौड़ाई लगभग 9.5 मीटर (31.2 फीट) है। यह भारतीय इतिहास के सबसे गहरी बावड़ियों में से एक है।
- रानी की वाव में मौजूद सीढ़ियां बेहद खास हैं क्योंकि इन सीढ़ियों को धार्मिक एवं पारंपरिक तरीके से बनाया गया है। कहा जाता है कि पौराणिक काल के राजा-महाराजा इस प्रकार की सीढ़ियों का निर्माण अपने महल में करते थे जिससे महल की शोभा बढ़ती थी।
- रानी की वाव एक 7 मंजिला इमारत है जिसकी दीवारों एवं खंभों पर विशेष प्रकार की आकृतियां एवं धार्मिक चित्रों को बनाया गया है जो देखने में बहुत सुंदर लगती हैं।
- कहा जाता है कि रानी की वाव के सबसे निचले हिस्से में एक रहस्यमई द्वार मौजूद है जो लगभग 30 मीटर लंबा है। वास्तव में यह एक लंबी सुरंग है जो सिद्धपुर नमक स्थान से जुड़ी हुई है।
- कुछ इतिहासकारों के अनुसार बीते 5 दशक पहले इस बावड़ी में पर्याप्त मात्रा में पानी मौजूद हुआ करता था जो औषधीय गुणों से भरपूर था। माना जाता है कि यह पानी पेड़-पौधों एवं मनुष्य के लिए बेहद फायदेमंद था।
- रानी की वाव के अंदर लगभग 800 से भी अधिक मूर्तियां मौजूद है जो देखने में बेहद सुंदर लगती हैं। यह मूर्तियां बावड़ी के प्रत्येक खंबों एवं दीवारों पर बनाई गई है जिसमें मुख्य रूप से भगवान के विभिन्न अवतारों, देवी-देवताओं एवं अप्सराओं की प्रतियां बनाई गई है।
- रानी की वाव एक ऐतिहासिक धरोहर है जिसकी देखरेख भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के द्वारा की जाती है।
- माना जाता है कि एक बार सरस्वती नदी में बाढ़ आने जाने की वजह से रानी की वाव धरती के कई मीटर अंदर समा गई थी। इस घटना के बाद भारतीय पुरातत्व संरक्षण विभाग में इस बावड़ी को दोबारा से स्थापित करने का कार्य किया था।
- रानी की वाव धार्मिक एवं ऐतिहासिक दृष्टिकोण से बेहद खास मानी जाती है क्योंकि इसके अंदर लगभग 800 मूर्तियों के साथ-साथ 1000 से भी अधिक छोटी-बड़ी भी कलाकृतियां देखी जा सकती हैं जो मुख्य रूप से हिंदू धर्म के इतिहास से संबंधित है। यह बावड़ी भारत के सबसे प्रसिद्ध धरोहरों में से एक मानी जाती है।
- इस बावड़ी में 7 मंजिलें मौजूद हैं जिसकी हर मंजिल पर विशेष प्रकार के कारीगरी की गई है। इसके प्रत्येक खंबों के जोड़ पर सुंदर कलाकृतियों की गई है जिसमें पौराणिक परंपराओं का सम्मेलन देखने को मिलता है।
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रानी की वाव : एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल – Rani Ki Vav: A Famous Tourist Place
रानी की वाव भारत के सर्वश्रेष्ठ पर्यटक स्थलों में से एक है जहां प्रतिदिन भारी मात्रा में देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। इस बावड़ी का केंद्र धरती के नीचे की तरफ बनाया गया है जिसके कारण यह किसी उल्टे मंदिर के समान प्रतीत होता है। यह एक जटिल रूप से निर्मित बावड़ी है जिसका निर्माण 11वीं शताब्दी में किया गया था। कुछ लोग रानी की वाव को प्रेम का प्रतीक भी मानते हैं क्योंकि इसका निर्माण महारानी उदयमती ने अपने स्वर्गीय पति राजा भीमदेव की याद में बनवाया था।
रानी की वाव का टिकट – Ticket of Rani ki Vav
- भारत के मूल निवासियों के लिए रानी की वाव का टिकट मात्र ₹35 प्रति व्यक्ति निर्धारित किया गया है।
- विदेशी पर्यटकों के लिए यह टिकट मात्र ₹550 प्रति व्यक्ति निर्धारित किया गया है।
- SAARC देशों के नागरिकों के लिए इस टिकट को ₹35 प्रति व्यक्ति निर्धारित किया गया है।
- BIMSTEC देश के नागरिकों के लिए भी यह टिकट ₹35 प्रति व्यक्ति निश्चित किया गया है।