सोमनाथ मंदिर भारत के सबसे प्राचीन एवं ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है जो पूरी तरह से भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर भारत के गुजरात राज्य के काठियावाड़ नामक क्षेत्र में स्थित है जहां पर भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग को स्थापित किया गया है। हिंदू धर्म के अनुसार यह मंदिर बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस पूरी पृथ्वी पर भगवान शिव के केवल 12 ज्योतिर्लिंग मौजूद हैं जिनमें से पहला ज्योतिर्लिंग इस मंदिर में उपस्थित है जिसके कारण इस मंदिर को सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है।
सोमनाथ मंदिर का इतिहास History of Somnath Temple
सोमनाथ मंदिर का निर्माण स्वयं चंद्र देव सोमराज ने किया था जिसका उल्लेख ऋग्वेद में भी किया गया है। यह मंदिर हिंदुओं के लिए एक पावन धार्मिक स्थल है जिसकी महिमा दूर-दूर तक फैली हुई है। प्राचीन काल में इस मंदिर को कई बार लूटा गया था एवं यहां पर मौजूद मूर्तियों को भी खंडित कर दिया गया था। ऐसा माना जाता है कि सोमनाथ मंदिर भारत के सबसे प्राचीनतम मंदिरों में से एक है जिसके कारण इस मंदिर पर बार-बार आक्रमण होने के बाद भी कई राजाओं इसका समय-समय पर पुनः निर्माण भी करवाया था। कुछ इतिहासकारों के अनुसार सोमनाथ मंदिर को अब तक कुल 17 बार नष्ट किया गया था क्योंकि यह मंदिर उस समय के सबसे धनी मंदिरों में से एक माना जाता था। इस मंदिर में मौजूद मूर्तियों पर सोने-चांदी के कई आभूषण चढ़ाए गए थे जिसके कारण आक्रमणकारी इस बार-बार लूटने एवं ध्वस्त करने का प्रयास करते थे।
सोमनाथ मंदिर क्यों प्रसिद्ध है? Why is Somnath Temple Famous?
सोमनाथ मंदिर हजारों-लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र माना जाता है क्योंकि इस मंदिर में भगवान शिव की प्रथम ज्योतिर्लिंग मौजूद है। यह स्थान शिव भक्तों के लिए एक विशेष स्थान माना गया है। यह मंदिर तीन प्रमुख भागों में विभाजित किया गया है पहले गर्भगृह, दूसरा नृत्य मंडप एवं तीसरा सभा मंडप। भगवान शिव का यह मंदिर लगभग 150 फीट ऊंचा है जिसके शिखर पर लगभग 10 टन वजनी कलश को स्थापित किया गया है। इसके अलावा इस मंदिर की ध्वजा लगभग 27 फीट ऊंची है जो इस मंदिर की शोभा को और अधिक बढ़ाती है। यह मंदिर केवल भारत का ही नहीं बल्कि विश्व का भी सर्वोच्च मंदिर माना जाता है जिसका दर्शन करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
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सोमनाथ मंदिर की कहानी Story of Somnath Temple
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार चंद्रमा ने राजा दक्ष की 27 पुत्रीयों से विवाह किया था परंतु उन सभी पत्तियों में से वह एकमात्र रोहिणी को अधिक प्रेम किया करते थे जिसकी वजह से बाकी रानियां अपने आप को अपमानित महसूस करती थी। कहा जाता है कि इससे आहत होकर उन्होंने अपने पिता राजा दक्ष से अपनी व्यथा सुनाई। इसके बाद राजा दक्ष ने चंद्र देव को समझने का बहुत प्रयत्न किया परंतु वह नहीं माने। कहते हैं कि चंद्र देव ने जब राजा दक्ष की बात नहीं मानी तो राजा दक्ष ने चंद्र देव को धीरे-धीरे खत्म होने का श्राप दिया था।
इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए चंद्र देव ब्रह्मा जी के पास गए एवं उन्हें अपनी व्यथा सुनाई। इस पर ब्रह्मा जी ने चंद्र देव को आदेश दिया कि वह भगवान शिव की घोर तपस्या करें। इसके बाद चंद्र देव ने शिवलिंग की स्थापना करके उसकी पूजा करी एवं भगवान शिव की कठोर तपस्या आरंभ कर दी। उनकी तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें श्राप मुक्त करते हुए अमरता का वरदान दिया। माना जाता है कि इस घटना के बाद से ही चंद्रमा की रोशनी 15 दिन बढ़ती है एवं 15 दिन घटती है।
इस घटना के बाद चंद्र देव ने भगवान शिव से अपने बनाए हुए शिवलिंग में रहने की प्रार्थना की एवं उनसे अनुमति मांगी। तभी से इस शिवलिंग को सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाने लगा और इस स्थान पर एक भव्य मंदिर का निर्माण हुआ। ऐसा कहा जाता है कि सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने एवं पूजा करने मात्र से ही मनुष्यों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
सोमनाथ मंदिर के टॉप 10 रोचक तथ्य Top 10 Interesting Facts About Somnath Temple
- हिंदू धर्म के अनुसार श्रावण माह (सावन) में सोमनाथ मंदिर का दर्शन करना बेहद लाभकारी होता है। यह मंदिर भगवान शिव का एक अत्यंत वैभवशाली मंदिर है जिसमें भगवान शिव स्वयं ज्योतिर्लिंग के रूप में यहां पर सदैव विराजमान रहते हैं।
- सोमनाथ मंदिर हिंदुओं के प्रमुख मंदिरों में से एक माना जाता है जिसका उल्लेख ऋग्वेद में भी देखने को मिलता है।
- यूं तो सोमनाथ मंदिर का इतिहास बेहद पुराना है परंतु आधिकारिक रूप से इस मंदिर का उद्घाटन भारत के लोह पुरुष कहे जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल जी ने 11 मई वर्ष 1951 में किया था।
- सोमनाथ मंदिर के अंदर माता पार्वती, मां सरस्वती, मां गंगा, मां नन्दी एवं माता लक्ष्मी की भी मूर्तियों को भी स्थापित किया गया है।
- इस मंदिर के परिसर में भगवान गणेश का भी एक छोटा सा मंदिर बनाया गया है जो इस मंदिर के उत्तरी प्रवेश द्वार के बाहर स्थापित किया गया है।
- यह मंदिर भारत के प्रमुख दार्शनिक स्थलों में से एक है जहां पर प्रतिदिन भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
- प्राचीन लोक कथाओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने सोमनाथ में ही अपना देह त्याग किया था जिसके कारण इस मंदिर का महत्व और भी अधिक बढ़ गया।
- ऐसा कहा जाता है कि जो भी भक्त इस मंदिर में सच्चे मन से कुछ भी मांगता है तो भगवान शिव उसकी यह अवश्य मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं।
- सोमनाथ मंदिर एक बेहद अद्भुत रचना मानी जाती है जिसके कारण इसे इतिहास में कई बार तोड़ने का भी प्रयत्न किया गया था।
- सोमनाथ मंदिर में मौजूद ज्योतिर्लिंग को पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है।
सोमनाथ मंदिर को क्यों तोड़ा गया था? Why was Somnath Temple Demolished?
जैसा कि हमने आपके ऊपर बताया कि सोमनाथ मंदिर को कुल 17 बार तोड़ने का प्रयत्न किया गया था जिसमें कई बार इस मंदिर में मौजूद देवी-देवताओं की मूर्तियों को भी खंडित कर दिया गया था। इस मंदिर को 1024 ईस्वी में मेहमूद ग़जनवी, 1296 ईस्वी में खिलजी, 1375 ईस्वी में मुजफ्फर शाह, 1451 में महमूद बेगड़ा एवं 1665 में औरंगजेब के शासनकाल में इस उद्देश्य के साथ विध्वंश किया गया था ताकि इस स्थान पर मस्जिदों का निर्माण किया जा सके। परंतु इतिहास के बड़े-बड़े राजाओं ने समय-समय पर इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था जिसके कारण इस मंदिर का अस्तित्व आज भी मौजूद है।
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सोमनाथ मंदिर कैसे पहुंचे How To Reach Somnath Temple
सोमनाथ मंदिर के दर्शन करने के लिए आप सड़क, रेल एवं हवाई तीनों ही मार्ग से आ सकते हैं। सड़क मार्ग से आने के लिए आपको सोमनाथ बस अड्डे पर उतरना होगा जो यहां से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रेल मार्ग से आने के लिए आपको वेरावल रेलवे स्टेशन पर उतरना होगा जो यहां से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा यदि आप हवाई मार्ग से आना चाहते हैं तो आपको DIU एयरपोर्ट पर उतरना होगा जो यहां से लगभग 85 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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