पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल की राजधानी काठमांडू के देवपाटन नामक गांव में स्थित है। यह मंदिर नेपाल की प्रमुख नदी माने जाने वाली बागमती नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर पूर्ण रूप से भगवान शिव को समर्पित है जहां पर उनकी पंचमुखी मूर्ति को स्थापित किया गया है। इस मंदिर में भगवान शिव की ज्योतिर्लिंग भी मौजूद है जिसे पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में मौजूद ज्योतिर्लिंग को पारस पत्थर के समान माना जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार यह मंदिर बेहद खास है जिसके दर्शन मात्र से ही भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव की ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ मंदिर का आधा अंग है।
पशुपतिनाथ मंदिर का इतिहास History of Pashupatinath Temple
पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल के साथ-साथ भारत का भी एक पवित्र स्थल माना जाता है। कुछ इतिहासकारों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण तीसरी सदी में राजा पशुप्रेक्ष के द्वारा कराया गया था जो सोमदेव राजवंश से संबंधित थे। भगवान शिव के इस मंदिर को समय-समय पर विभिन्न राजाओं द्वारा पुनः निर्मित भी किया जाता रहा है। यह मंदिर भगवान शिव के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है जहां पर प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर के परिसर में भगवान शिव के साथ-साथ, सूर्य नारायण मंदिर, बसुकीनाथ मंदिर, भैरव मंदिर, बूंदा नीलकंठ मंदिर आदि भी मौजूद हैं।
पशुपतिनाथ मंदिर की महिमा Glory of Pashupatinath Temple
पशुपतिनाथ मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस मंदिर के दर्शन के लिए आता है तो उसे किसी भी जन्म में पशु योनि में जन्म नहीं मिलता है अर्थात वह हर जन्म में मनुष्य के रूप में ही जन्म लेते हैं। हालांकि दूसरी मान्यता यह भी है कि यदि कोई भी श्रद्धालु पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन से पूर्व नंदी के दर्शन कर ले तो उस व्यक्ति का दूसरा जन्म एक पशु के रूप में होता है इसीलिए ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के परिसर में जाने के बाद आपको सबसे पहले पशुपतिनाथ का दर्शन करना चाहिए।
पशुपतिनाथ मंदिर की कहानी Story of Pashupatinath Temple
एक प्राचीन कथा के अनुसार स्वर्ग प्रयाण के समय भगवान शिव शंकर ने धरती पर निवास कर रहे पांडवों को भैंस के रूप में अपने दर्शन दिए थे जिसके बाद वह धरती में समा गए थे। परंतु जिस समय भगवान शिव धरती में समा रहे थे तो उसे दौरान बाहुबली भीम ने उनकी पूंछ पकड़ ली थी इसके बाद उस स्थान को भगवान शिव के स्वरूप के रूप में स्थापित किया गया था और उस स्थान को केदारनाथ धाम के नाम से जाना जाने लगा। कहा जाता है कि भैंस रूपी भगवान शिव का मुख धरती के जिस भाग से बाहर निकला था उस स्थान को पशुपतिनाथ के नाम से जाना जाने लगा था। इसीलिए केदारनाथ में स्थित ज्योतिर्लिंग को पशुपतिनाथ के बिना अधूरा माना जाता है।
पशुपतिनाथ मंदिर की दूसरी कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव सभी देवताओं को छोड़कर बागमती नदी के तट पर चले आए थे जिसके दूसरे छोर पर घना जंगल हुआ करता था। यहां पर भगवान शिव चिंकारा के रूप में गहरी योग निद्रा में चले गए थे। शीघ्र ही भगवान शिव को ढूंढते हुए सभी देवता उनके समीप पहुंचे और उनसे वापस चलने का आग्रह करने लगे। इस पर भगवान शिव ने नदी के दूसरे छोर पर एक लंबी छलांग लगा दी जिसके कारण उनके सींग के चार टुकड़े हो गए। कहते हैं कि इसके बाद इस स्थान पर भगवान पशुपति के रूप में प्रकट हुए थे और इसके बाद से ही इस स्थान को पशुपतिनाथ मंदिर के रूप में जाना जाने लगा।
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पशुपतिनाथ मंदिर के टॉप 10 रोचक तथ्य Top 10 Interesting Facts About Pashupatinath Temple
- पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल के सबसे खूबसूरत एवं पवित्र स्थलों में से एक है जहां पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है।
- हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का इतिहास कई हजारों वर्ष पुराना है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में स्वयं भगवान शिव आए थे।
- कहा जाता है कि इस मंदिर के गर्भगृह में मौजूद पंचमुखी शिवलिंग विश्व के किसी अन्य मंदिर में नहीं पाया जाता है।
- यह मंदिर हिंदू धर्म के 8 प्रमुख मंदिरों में से एक है जिसकी दीवारों पर सुंदर वास्तुकला का प्रमाण देखने को मिलता है। इसके अलावा इस मंदिर में विश्व की सबसे सुंदर मूर्तियां भी मौजूद हैं जिसका निर्माण काले रंग के ग्रेनाइट पत्थर से किया गया है।
- पशुपतिनाथ मंदिर को एक सुंदर संरचना के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इस मंदिर की छत के निचले हिस्से पर सोने की सुंदर परत चढ़ाई गई है और इसके प्रमुख चार दरवाजों पर चांदी की परत भी चढ़ाई गई है।
- कहा जाता है कि यह मंदिर नेपाल की पैगोडा शैली से प्रेरित है जिसमें एक स्तरीय छत एवं चबूतरा मौजूद है।
- पशुपतिनाथ मंदिर को यूनेस्को ने सन 1979 में विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया था।
- यह मंदिर नेपाल के सबसे लोकप्रिय पर्यटक स्थलों में से एक है जहां पर प्रति वर्ष शिवरात्रि के अवसर पर उत्सव मनाया जाता है। कहा जाता है कि शिवरात्रि के दिन इस मंदिर में पूरे नेपाल के साथ-साथ भारत से भी भारी मात्रा में श्रद्धालु आते हैं।
- पशुपतिनाथ मंदिर के मुख्य परिसर में भगवान शिव एवं नंदी को लिंगम एवं बैल के रूप में स्थापित किया गया है जिसे भगवान शिव शंकर का प्रतीक भी माना जाता है।
- कहा जाता है कि एक समय पर यह मंदिर साधु-संतों का प्रमुख केंद्र हुआ करता था जिसके कारण इसे पवित्र साधुओं का घर भी कहा जाता है।
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पशुपतिनाथ मंदिर कैसे पहुंचे How to Reach Pashupatinath Temple
पशुपतिनाथ मंदिर हिंदुओं के पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है जो नेपाल की राजधानी काठमांडू से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पशुपतिनाथ मंदिर का दर्शन करने के लिए आप सड़क एवं हवाई दोनों ही माध्यम से आ सकते हैं। सड़क मार्ग से आने के लिए आपको काठमांडू बस अड्डे पर उतरना होगा जो यहां से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हवाई मार्ग से आने के लिए आपको काठमांडू के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरना होगा जो यहां से केवल 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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