कामाख्या मंदिर भारत के सर्वश्रेष्ठ मंदिरों में से एक है जो भारत के असम राज्य के गुवाहाटी नामक स्थान में स्थित है। यह एक चमत्कारिक शक्तिपीठ है जिसे भगवान शिव की नववधू मां सती के रूप में पूजा जाता है। प्राचीन कथा के अनुसार इस स्थान पर माता सती का योनि भाग गिरा था जिसके कारण इसे कामाख्या देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में मुख्य रूप से माता सती की पूजा-अर्चना की जाती है। हिंदू धर्म के अनुसार इस मंदिर में आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
कामाख्या मंदिर का इतिहास History of Kamakhya Temple
कामाख्या मंदिर भारत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है जिसका उल्लेख कालिका पुराण में भी देखने को मिलता है। इस मंदिर की नीव राजा भगदत्त शशांक ने 7वीं शताब्दी में रखी थी। यह शक्तिशाली मंदिर माता सती को समर्पित है जिसे भारत के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में गिना जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित किया था और जिन स्थानों पर वह भाग गिरे उन स्थानों पर एक शक्तिपीठ बन गया था। कामाख्या मंदिर उन्हीं स्थानों में से एक है।
कामाख्या मंदिर क्यों प्रसिद्ध है? Why is Kamakhya Temple famous?
कामाख्या देवी मंदिर में किसी भी प्रकार की मूर्ति नहीं है बल्कि इस शक्तिशाली स्थान में योनि की पूजा की जाती है। यह एक शक्तिशाली पीठ है जहां पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में भक्तों द्वारा मांगे जाने वाली सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह मंदिर भारत के सर्वश्रेष्ठ मंदिरों में से एक है। कुछ लोगों को यह मानना है कि इस मंदिर के परिसर में तांत्रिक अपनी सिद्धियों को पूरा करने के लिए आते हैं।
कामाख्या मंदिर की कहानी Story of Kamakhya Temple
एक प्राचीन कथा के अनुसार जब माता सती ने योग शक्ति से अपना देह त्याग कर दिया था तो उस दौरान भगवान शिव बहुत ही क्रोधित हो गए थे और वे माता सती मृत शरीर को उठाकर पृथ्वी पर तांडव करने लगे थे। इस पर भगवान विष्णु ने भगवान शिव के क्रोध को शांत करने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के 51 भाग किए थे और वह भाग पृथ्वी के जिन स्थान पर गिरे उन सभी स्थानों पर एक-एक शक्तिपीठ का निर्माण हुआ। कामाख्या देवी मंदिर उन्हीं स्थान में से एक है क्योंकि यहां पर माता सती का योनि भाग गिरा था।
कामाख्या मंदिर के रोचक तथ्य Interesting Facts About Kamakhya Temple
- कामाख्या मंदिर सभी शक्तिपीठों का महापीठ माना जाता है। यह एक चमत्कारिक मंदिर है जहां पर माता सती की कोई भी मूर्ति नहीं है। कहा जाता है कि इस मंदिर के परिसर में एक प्राचीन कुंड मौजूद है जो हमेशा ताजे फूलों से ढका हुआ रहता है और उससे एक प्रकार का प्राकृतिक झरना निकलता है।
- हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर के परिसर में आए दिन कन्या पूजन एवं भंडारा कराया जाता है जिसमें नर पशुओं की बलि भी दे देने का प्रावधान है।
- ऐसा माना जाता है कि कामाख्या देवी मंदिर में भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- कामाख्या मंदिर तंत्र साधना के लिए एक सर्वोत्तम स्थान माना गया है। कहा जाता है कि तांत्रिक शक्तियों नकारात्मक शक्तियों को दूर करने में भी समर्थ होते हैं जिसके कारण यहां पर तांत्रिकों का जमावड़ा भी लगा रहता है।
- कामाख्या मंदिर तीन भागों में विभाजित है जिसके पहले भाग में किसी भी व्यक्ति का जाना वर्जित है। दूसरे भाग में माता के दर्शन होते हैं और उस स्थान पर मौजूद एक विशेष पत्थर से हमेशा जल की धार निकलती रहती है। एवं इसके तीसरे भाग में महीने के तीन दिनों तक माता का राजस्वला होता है जिसमें बड़ी धूमधाम से मंदिर के कपाटों को खोला जाता है।
- इस मंदिर के परिसर को प्रतिवर्ष नियमित रूप से 22 जून से लेकर 25 जून तक बंद रखा जाता है जिसमें किसी भी पुरुष को मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इन दिनों के दौरान माता सती रजस्वला रहती हैं।
- कामाख्या देवी मंदिर के परिसर में एक पत्थर मौजूद है जिससे हर समय पानी निकलता रहता है परंतु इस पत्थर से प्रत्येक महीने में एक बार रक्त की धारा भी निकलती है जो की वर्तमान समय तक एक रहस्य बना हुआ है।
- कामाख्या मंदिर में प्रत्येक वर्ष नियमित रूप से अम्बुवाची मेले का आयोजन किया जाता है। कहा जाता है कि इस दौरान इस मंदिर के पास में स्थित ब्रह्मपुत्र नदी का पानी तीन दिनों के लिए लाल रंग में परिवर्तित हो जाता है जिसे देखने के लिए यहां पर भक्तों की भीड़ जमा हो जाती है। यह मेल प्रतिवर्ष आषाढ़ माह में लगता है।
- कामाख्या मंदिर के करीब उमानंद भैरव का मंदिर उपस्थित है जिसे इस मंदिर का भैरव कहा जाता है। मान्यता है कि माता के दर्शन के बाद भैरव मंदिर के दर्शन किये बिना कामाख्या देवी की यात्रा अधूरी होती है।
- हिंदू धर्म के अनुसार अम्बुवाची मेले के दौरान नदी में स्नान नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से माता सती के दर्शन का लाभ नहीं मिलता है।
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कामाख्या मंदिर कैसे पहुंचे How To Reach Kamakhya Temple
कामाख्या देवी मंदिर आने के लिए आप सड़क, रेल एवं हवाई तीनों ही माध्यम का सहारा ले सकते हैं। सड़क मार्ग से आने के लिए आपको गुवाहाटी बस अड्डे पर उतरना होगा जो यहां से लगभग 7.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रेल मार्ग से आने के लिए आपको गुवाहाटी रेलवे स्टेशन पर उतरना होगा जो कामाख्या देवी मंदिर से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा यदि आप हवाई मार्ग से आना चाहते हैं तो आपको गुवाहाटी एयरपोर्ट पर उतरना होगा जो यहां से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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कामाख्या मंदिर के आसपास घूमने की अन्य जगहें Other Places To Visit Around Kamakhya Temple
कामाख्या मंदिर के आसपास कई पर्यटन स्थल मौजूद है जैसे:-
- गुवाहाटी चिड़ियाघर
- उमानंद मंदिर
- नवग्रह मंदिर
- भुवनेश्वर मंदिर
- पोबीतोरा वन्यजीव अभ्यारण
- असम राजकीय संग्रहालय
- उमानंद द्वीप आदि।
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