सौर ऊर्जा : एक शक्तिशाली यंत्र Solar Energy: A Powerful Tool 2024

सौर ऊर्जा वह शक्ति है जो सीधे सूर्य की किरणों से प्राप्त की जाती है। यह सूर्य के प्रकाश से रासायनिक प्रतिक्रियाएं करने, बिजली का उत्पादन करने एवं गर्मी पैदा करने में सक्षम है। वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी पर पड़ने वाली सूर्य की गर्मी आवश्यकता से बहुत अधिक है जिसके कारण इस यंत्र का निर्माण किया गया है जो मुख्य रूप से सूर्य से निकलने वाली ऊष्मा के माध्यम से बिजली का उत्पादन कर सकती है। वर्तमान समय में सौर ऊर्जा का प्रयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है। यह एक गैर प्रदूषणकारी यंत्र है जिससे पृथ्वी के वातावरण में किसी भी प्रकार की हानि नहीं होती है।

सौर ऊर्जा के फायदे
सौर ऊर्जा के फायदे Benefits of Solar Energy

सौर ऊर्जा को एक अद्भुत नवीकरणीय ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है जिससे किसी भी प्रकार की ग्रीनहाउस गैसों का निर्माण नहीं होता है। वर्तमान समय में देश के बड़े-बड़े क्षेत्रों में सौर ऊर्जा का प्रयोग विद्युत उत्पन्न करने के लिए किया जाता है जिसके माध्यम से कई बड़े-बड़े उद्योगों में मशीनें संचालित की जाती हैं। कई वैज्ञानिकों का मानना है कि सौर ऊर्जा में पृथ्वी ग्रह को जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव से संरक्षित करने की भी क्षमता है। सौर ऊर्जा की उपयोगिता सामाजिक लाभ के नजरिए से भी बेहद अच्छा माना जाता है क्योंकि यह आसानी से उपलब्ध होने वाला एक ऐसा यंत्र है जिसे किसी भी स्थान पर बड़ी ही सरलता से लगाया जा सकता है।

सौर ऊर्जा के प्रकार Types of Solar Energy

सौर ऊर्जा के पांच प्रमुख प्रकार होते हैं:-

  1. सौर तापीय ऊर्जा (Solar Thermal Energy)
  2. फोटोवोल्टिक (Photovoltaic)
  3. केंद्रीय सौर ऊर्जा (Central Solar Power)
  4. भवन एकीकृत फोटोवोल्टिक (Building Integrated Photovoltaic)
  5. निष्क्रिय सौर ऊर्जा (Passive Solar Energy)

सौर तापीय ऊर्जा

सौर तापीय ऊर्जा (Solar Thermal Energy)

सौर तापीय ऊर्जा सौर ऊर्जा का वह प्रकार है जिसका उपयोग मुख्य रूप से बिजली उत्पादन करने के लिए किया जाता है। इस प्रणाली में सूर्य की अधिकतम तापमान को ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। आसान भाषा में कहा जाए तो सौर तापीय ऊर्जा सूर्य से निकलने वाले प्रकाश को एकत्रित एवं केंद्रित करने का कार्य करती है।

फोटोवोल्टिक (Photovoltaic)

फोटोवोल्टिक या सोलर फोटोवोल्टिक वह प्रौद्योगिकी है जिसके माध्यम से सूर्य से निकलने वाली उष्मा को विद्युत के रूप में परिवर्तित किया जाता है। यह नवीकरणीय ऊर्जा उद्योग का एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है जिसके माध्यम से बिजली का उत्पादन करके उसे विभिन्न क्षेत्र में उपयोग में लाया जाता है।

केंद्रीय सौर ऊर्जा (Central Solar Power)

केंद्रीय सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकी में सूर्य की रोशनी को केंद्रित करके बिजली का उत्पादन किया जाता है। यह सौर ऊर्जा का आधार माना जाता है जिसके द्वारा बिजली से संबंधित विभिन्न कार्यों को संपादित किया जाता है। वर्तमान समय में केंद्रीय सौर ऊर्जा पर आधारित कई प्रकार के विद्युत उत्पादक इकाइयों द्वारा अनेकों कार्य किए जाते हैं।

भवन एकीकृत फोटोवोल्टिक (Building Integrated Photovoltaic)

भवन एकीकृत फोटोवोल्टिक सौर ऊर्जा का वह प्रमुख प्रकार है जिसमें विभिन्न यंत्रों के माध्यम से भवन के बड़े-बड़े भागों में बिजली का उत्पादन करके बिजली की आपूर्ति की जाती है। यह मुख्य रूप से भवन की छतों स्थापित किया जाता है जिसका प्रयोग एक विद्युत जनरेटर के रूप में भी किया जा सकता है।

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निष्क्रिय सौर ऊर्जा (Passive Solar Energy)

निष्क्रिय सौर ऊर्जा का मुख्य कार्य भवन के बाहर के तापमान को अवशोषित करके अंदर के तापमान को सामान्य बनाए रखना होता है। सामान्यतः इसे ईंट, कंक्रीट, पत्थर, टाइल्स आदि के साथ स्थापित किया जाता है जिसके माध्यम से भवन के अंदर के तापमान को सर्दियों के मौसम में गर्म एवं गर्मियों के मौसम में ठंडा रखा जाता है।

सौर ऊर्जा के उपयोग Use of Solar Energy

जैसा कि हमने आपके ऊपर बताया कि सौर ऊर्जा का प्रयोग विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के कार्यों को संचालित करने के लिए किया जा सकता है जैसे:- बिजली का उत्पादन करने, खाना पकाने, पानी गर्म करने, इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने, स्ट्रीट लाइट को जलाने, पानी को साफ करने आदि। वर्तमान समय में घरों में सोलर पैनल लगाना एक अच्छा विकल्प माना जाता है क्योंकि इसकी सहायता से बिजली के बिल को लगभग आधा किया जा सकता है।

सौर ऊर्जा के नुकसान
सौर ऊर्जा के नुकसान Disadvantages of Solar Energy

सौर ऊर्जा मुख्य रूप से सूर्य की तेज रोशनी के माध्यम से बिजली का उत्पादन करती है परंतु यह एक ऐसा यंत्र है जो अस्थाई मौसम व्यवधान के अधीन है। यानी कि जिस दिन मौसम में होने वाले बदलाव के कारण सूर्य की रोशनी में कमी होती है तो इस स्थिति में बिजली का उत्पादन भी कम मात्रा में होता है। इसके अलावा यह दिन के समय में अधिक सक्रिय रहने वाला यंत्र है एवं रात्रि के समय में इसकी आपूर्ति बाधित भी हो सकती है।

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